Short Moral Story In Hindi – Love Story – Kids Stories – कहानियां
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपको हिंदी में कहानी बताएंगे आपको पता है कि बोलो और बच्चों को कहानी सुना कितना पसंद है .कुछ लोग समय काटने के लिए कहानी सुनना पसंद करते हैं तो कुछ लोगों के लिए बहुत अच्छी हॉबी होती है बचपन में नानी नाना मम्मी पापा दादी दादा सारे लोग हमको हमारे मनपसंद कहानी सुनाते है
आज के आर्टिकल में हम आपको बहुत अच्छी अच्छी कहानी बताने वाले हैं आप सबको हमारी कहानी बहुत ही पसंद आएंगी प्रयास यही करें कि आर्टिकल को पूरा पढ़ें क्योंकि यह आर्टिकल बहुत जबरदस्त होने वाला है आइये शुरू करते है।
Hindi story
buwa ji ki chitthi – बुवा जी की चिठ्ठी
आओ सभी बुआ जी की कहानी सुनते है और आनंद करते है, वैसे बुआ का नाम सुनते ही आपको अपनी बुआ के बारे में जरूर याद आ गयी होगी। आओ आज बुआ की कहानी से आपको रूबरू कराते है, और कहानी पढ़कर मजे करते है –
- कहानी का नाम बुआ जी की चिट्ठी है
- कई घर परिवारों में पुराने समय में लोग ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों का प्रयोग किया करते थे
- कहानी का नाम बुआ जी की चिट्ठी है
- कई घर परिवारों में पुराने समय में लोग ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों का प्रयोग किया कर
- तनु सौरव और दिशा तीनों अपने कमरे में उदास बैठे सो रहे थे
- कि क्या उनकी गर्मी और सारी छुट्टियां ऐसे ही खाली बैठे-बैठे व्यतीत हो जाएंगे ।
- कोई भी उनके बारे में कुछ सोच ही नहीं रहा पिछली बार तो जैसे ही उनकी छुट्टियां शुरू हुई थी
- पापा तीनों को नानी के घर छोड़ आए थे।
- वहां पर उन्होंने जो धमा चौकड़ी मजाक कर मजे किए
- उन्हें वह सब याद करके आज और भी बुरा लग रहा दिशा बता रही थी
- कि उन दिनों उसने कैसे रबड़ वाला चूल्हा सारे घर वालों के बिस्तर पर डालकर सबको परेशान किया था
- दिशा बता रही थी कि दोनों छोटी मामी तो बिस्तर से
- जैसे उछाली पड़ी थी तभी तनु बीच में बोल पड़ी दिशा याद है
- जब मां हमें खेत दिखाने ले गए थे । और ट्यूबवेल पर नहाते हुए सौरभ का पैर फिसल गया था
- वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा था बच्चों यही सब बातें कर रहे थे
- कि अचानक दादी कमरे में आ गई तीनों बच्चे फिर से साथ बैठ गए
- दादी बोली तुम्हारी बुआ की चिट्ठी आई है और उन्होंने तुम्हें बुलाया है
- इतना सुनते ही तीनों बच्चों लोमड़ी की तरह उछाल कर
- दादी के हाथ से चिट्ठी खेलने की कोशिश करने लगे तब दादी ने चिट्ठी को पढ़ाना शुरू किया।
प्रिय ,
सौरभ दिशा और तनु तुम सबको ढेर सारा प्यार
- मुझे पता चला है कि तुम्हारी गर्मियों की छुट्टियां हो गई है और इस बार अभी तक तुम लोगों को कहीं जाने का कोई प्रोग्राम पर नहीं बना है
- इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना इस बार तुम तीनों मेरे पास आ जाओ यहां पर सूरज और
- सलोनी की भी छुट्टियां हो गई है और वह भी कहीं नहीं जा रहे
- क्योंकि उन्होंने इस बार तुम सबके साथ मिलकर कुछ अलग ढंग से छुट्टियां मनाने की प्लानिंग की है
- अभी कुछ दिन बाद हमारे गांव में एक बड़े मेले का आयोजन किया जाएगा
- इसमें बड़ी दुकानों के साथ ऊंचे ऊंचे को झूले घोड़ा
- नाडी नट मदारी आदि के साथ भी बहुत कुछ आने वाला है और
- तुम्हें याद होगा एक बार जब तुम सबसे पहले यहां आए थे
- तो तुम्हारे फूफा जी पास ही तीनों काका के आम के बैग में लेकर आए थे
- जहां तुमने अपनी पसंद के आम खूब जमकर खाए थे इस बार उनके बगीचे में आम के साथ-साथ अंगूर सेंटर
- और लीची के फल तैयार हो गए हैं और उन्होंने तुम सबको बुलाया भी है
- मैंने तुम सबके लिए आम का खट्टा और मीठा अचार भी बनाया है
- तुम्हें पता है कि तुम्हारे सलोनी दीदी ने घर एक बड़ा कमरा सिर्फ इसलिए तैयार किया है
- कि तुम सब बिना किसी परेशानी से मिलकर छुट्टियों का आनंद उठा सकूं
- एक-दो दिन में तुम्हें लेने तुम्हारे फूफा जी को भेज दूंगी
- तुम तैयार रहना मां को और भैया भाभी को मेरा प्रणाम करना।
- चिट्ठी पढ़ते ही सारे बच्चे खुश हो गए और वह अपने खिलौने और कपड़े बाग में रखने लगे
कहनी कितनी अच्छी है अपको पसंद आएगी।
Hindi story for kids
Ganv ka Jeevan kaisa hota hai (गांव का जीवन कैसा होता है ?)
आपको इस कहानी से आपको अपना गांव याद आ जायेगा, एक बात तो है लोग भले ही सहर में कितना भी आलिशान घर, लग्जरी जगओ, पर घूमना या खाना सब फीका हो जाता है जब याद आती है गांव की। आओ आपको आपने गांव से रूबरू कराता हु-
प्रिय मित्र दीपांशु ,
- तुम्हारा पत्र मिला सपरिवार मैं यहां कुशलता से हु ।
- मैं तुम्हरे पत्र का उत्तर जल्दी इसलिए नही दे सका।
- क्योंकी इस बार मै गर्मी की छुट्टियां मैं अपने दादा-दादी के पास गांव चला गया था
- वहां मुझे इतना अच्छा लगा कि वापस आने का मन ही नहीं कर रहा था
- गांव के जीवन की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी ही काम है
- वास्तव में गांधी जी का यह कथन भारत गांव में बसता है बिल्कुल सत्य है
- मैं भी यह अनुभव किया कि भारत का सच्चा सौंदर्य गांव में ही है
- यहां लोगों में सदा जीवन उच्च विचार की झलक दिखाई देती है
- यह लोग हृदय से सीधे सच्चे और पवित्र होते हैं
- प्यार और इसने तो इनके अंदर कूट-कूट कर भरा होता है
- छल कपट सेतु कोसों दूर रहते हैं
- ग्रामीण लोग बहुत ईमानदार और अतिथि का सत्कार करने वाले होते हैं
- ग्रामीण लोग अधिक पैसा व्यर्थ में व्यय नहीं करते उन्हें रुखा सुखा जो भी मिल जाए खा लेते हैं
- मोटा और सस्ता कपड़ा पहनते हैं
- यहां के लोग सुबह सूर्योदय से पहले जाग जाते हैं
- दिन भर खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं
- गांव में मैं भी सुबह जल्दी उठ जाता था फिर दैनिक क्रिया में नेतृत्व का होकर दूध पीता
- चाचा जी के साथ खेतों की ओर निकल पड़ता था
- यहां सुबह मौसम बहुत सुहावना होता है
- चिड़ियों की चहचहाट कल कल करती नदी का स्वर्ग दूर
- तक फैली प्रतिमा और लहलते खेतों से जो संतोष और खुशी मिलती है
- वह धुवा उगलती चिमनियों क्लोरीन मिले पानी
- सड़कों के कोलाहल और दूषित हवा पहले शहरों में कहां
- कंक्रीट के जंगल में हमारा सारा प्राकृतिक वातावरण समाप्त कर दिया है
- गांव में ही मैं प्रकृति का शुद्ध रूप रेखा सचमुच
- जो आनंद मुझे यहां के बाद बगीचा और कच्चे लीपे पुते घरों से प्राप्त हुआ
- गांव में थोड़े ही दिन रहकर मैंने यह अनुभव किया कि जो किस दिन रात मेहनत करके
- हमारे लिए अनाज पैदा करता है वह सही जानकारी के अभाव में अपनी मेहनत का रूपया नही ले पा रहा।
- वहां जो तरक्की होनी चाहिए
- शिक्षा के अभाव में नहीं हो पा रहे
- भोले भाले किसानों को महाजनों एवं मुनाफाखोर व्यापारियों के शोषण का शिकार होना पड़ता है
- गांव के अस्पताल और विद्यालय में सुविधाओं का अभाव है
- नए रोजगार की खोज में ग्रामीण लोग शहर की ओर भाग रहे हैं
- गांव की ऐसी दशा देखकर मेरा मन द्रवित हो उठा
- मैं अपने मन में यह संकल्प किया है
- कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा गांव में एक क्लीनिक खोलूंगा और जन सेवा करूंगा
यह कहानी हमारे गांव पर आधारित है गांव-गांव पर और वहां का जीवन इतना अच्छा होता है कि इस कहानी में सारे गांव के बारे की सुंदरता बताई गई है
Story – gauraiya (गौरैया)
घर में हम तीन ही व्यक्ति रहते थे मां पिताजी और मैं, हमारे घर के अंदर में एक आम का पेड़ था तरह-तरह के पक्षी उसे पर डेरा डाला करते।एक दिन दो गडरिया सीधी घर के अंदर घुस आई कभी भी रोशनदान पर बैठ जाती तो कभी खिड़की पर फिर जैसे आई थी वैसे ही उड़ भी गई .
2 दिन बाद हमने क्या देखा की बैठक की छत से लगे पंखे के गले में उन्होंने अपना बिछाना बढ़ा लिया है, और मजे से दोनों बैठी गाना गा रही है , इस पर पिताजी को गुस्सा आ गया , उन्होंने पंखे के नीचे जाकर जोर से ताली बजाई बहाने जूली फिर खड़े-खड़े कूदने लगे गौरैया के नीचे की ओर जहां का देखा और एक साथ चिंची करने लगी .
पिताजी को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया वह बाहर से लाठी उठा लो, उन्होंने लाठी ऊंची उठकर पंखे के गले को ठोका ची ची करती गौरैया उड़कर पहन के डंडे पर जा बैठी पिताजी लाठी उठा पहन के डंडे की ओर लपके एक गौरैया उड़ कर रसोई घर के दरवाजे पर जा बैठी .
जबकि दूसरी सीडीओ वाले दरवाजे पर मां हंस पड़ी, तुम तो बड़े समझदार हो जी सभी दरवाजे खुले हैं और तुम गडरिया को बाहर निकल रहे एक दरवाजा खुला छोड़ो बाकी दरवाजा बंद कर दो यह भी निकलेंगे पिताजी ने मुझसे कहा “जा दोनों दरवाजे बंद कर दो” मैं भाग कर दोनों दरवाजे बंद कर दिए ,केवल रसोई घर का दरवाजा खुला रखा .
पिताजी ने फिर लाठी उठाई और गडरिया का हमला बोल दिया चींटी करती चिड़िया रसोई घर दरवाजे में से बाहर निकल गई मतलिया बजने लगी पिताजी ने लाठी दीवार के साथ दिखा कर रख दी और छाती खुला है कुर्सी पर बैठ गए तभी पंखे के ऊपर से चीन चीन की आवाज सुनाई पड़ी मैंने सर उठाकर ऊपर की ओर देखा दोनों गडरिया फिर से अपने घोंसले में मौजूद थे इस बार में रोशनदान में से आ गई थी जिसका एक शीशा टूट गई .
पिताजी ने कुर्सी पर चढ़कर रोशनदान में कपड़ा ठोस दिया। और लाठी उठा ले उसे दिन उन्हें गौरैया को बाहर निकलने में बहुत देर नहीं लगी, अब तो रोज यही कुछ होने लगा दिन में तो
वह बाहर निकाल दी जाती पर रात के समय जब हम सो रहे होते तो न जाने किस रास्ते से वह अंदर गुजर जाते हैं पिताजी तंग आ गए थे एक दिन कहने लगे गौरैया का घोंसला नोचकर निकाल दे, वह बाहर से स्टूल उठा लाए उन्होंने पंखे के नीचे फर्श पर स्टूल रखा और लाठी लेकर उसे पर चढ़ जाए .पिताजी लाठी का सीधा घास के तिनकों के ऊपर रखकर वही रख रख घूमने लगे इससे घोंसले के लंबे-लंबे टिके लाठी के सरे के साथ निपटने लगे तभी सहायता जोर की आवाज आई .
“ची, ची”
पिताजी के हाथ ठीक ठाक गए मैंने झट से बाहर की और देखा दोनों गौरैया बाहर दीवार पर गुमसुम बैठी थी, फिर पंखे की ओर देखा पंख गले के ऊपर से दो नन्हीं नन्हीं गौरैया चिंची किया जा रहे थे , मानव वे अपने परिचय दे रही थी हम आ गए हैं हमारे मां-बाप कहां है , महारानी से उनकी ओर देखकर आप ही मैंने देखा कि पिताजी स्टॉल से नीचे उतर गए और चुपचाप कुर्सी पर आकर बैठ गए इस बीच मैन सभी दरवाजे खोल दिए .
उनके मां-बाप झट से उड़ कर अंदर आ गए और चिंची करते हैं उनसे जा मिले, मादा गौरैया उनकी नन्ही नन्ही चोचो में चुग्गा डालने लगीकमरे में फिर से शोर होने लगा था पर इस बार पिताजी उनकी ओर देख देख कर केवल मुस्कुराते रहे.
दोस्तों अपने पक्षियों की कहानी सुनी होगी यह भी बच्चे की कहानी है इन लोगों को भी बहुत सारी दिक्कतें होती हैं और हम लोग इनको बहुत बुरी तरीके से कभी-कभी घायल कर देते हैं लेकिन हमें ध्यान देना इनका भी परिवार है और इनको हम फालतू की चीजों से preshan न करे।
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