जवाहरलाल नेहरू USSR (Russia) के पंचवर्षीय योजना के Industrilisation के सफलता से खूब प्रसन्नित हुए।
चूँकि भारत में भी वे सभी तत्व थे जिनसे 5 वर्षीय योजना (Five Year Plan) बनाया जा सकता था इसलिए "योजना आयोग" प्रारम्भ किया गया।
भारत के प्रारम्भ Economic Growth के लिए Planning Commission को गठन किया गया। इसके चेयरमैन नेहरूजी बने।
2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योजना आयोग को भंग कर NITI Aayog नामक एक नए संस्थान को बनाया गया। [अब 2022 कोई पांच वर्षीय योजना देश में नहीं है]
जवाहरलाल नेहरू द्वारा पहली पंचवर्षीय योजना का गठन किया गया था।
1951 में Primary Sector के विकास पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए, पहली पंचवर्षीय योजना विकसित की गई थी।
इस योजना में वित्तीय वर्ष के लिए 2.1 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का लक्ष्य था, हालांकि, उस वर्ष 3.6 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई।
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2nd FYP में Public Sector के विकास और “Rapid Industrialization” को प्राथमिकता दी गयी थी। डिजाइन महालनोबिस मॉडल पर आधारित था, जिसे 1953 में भारतीय सांख्यिकीविद् प्रशांत चंद्र महालनोबिस द्वारा बनाया गया था।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस
इसे 1961 से 1966 की अवधि के लिए जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में बनाया गया था। इस योजना का मुख्य लक्ष्य अर्थव्यवस्था को स्वतंत्र बनाना था। कृषि और गेहूं के उत्पादन में सुधार पर जोर दिया गया था। पिछली योजना की विफलता के कारण, सरकार ने 1966 से 1969 तक तीन वार्षिक योजनाओं की घोषणा की, जिन्हें Plan Holidays कहा जाता है। Plan Holidays के पीछे मुख्य कारण भारत-पाकिस्तान युद्ध और चीन-भारत युद्ध था।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. गाडगिल के नाम पर इस योजना को 'गाडगिल योजना' भी कहा जाता है।
इसकी अवधि 1969 से 1974 तक इंदिरा गांधी के नेतृत्व में थी। इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे - स्थिरता के साथ विकास और आत्मनिर्भरता की प्रगतिशील उपलब्धि। इस दौरान Green Revolution हुआ था। 5th FYP फ़ैल रही और 5.7 प्रतिशत के लक्ष्य के मुकाबले केवल 3.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकी।
4th पंचवर्षीय योजना के फ़ैल होने से सरकार ने 1966 से 1969 तक तीन वार्षिक योजनाओं की घोषणा की, जिन्हें Plan Holidays कहा जाता है
मुख्य कारण Indo-Pakistani और Sino-India war था। इस योजना के दौरान वार्षिक योजनाएँ बनाई गईं और कृषि से जुड़े क्षेत्रों और उद्योग क्षेत्र को समान प्राथमिकता दी गई।
यह योजना गरीबी हटाओ, रोजगार, न्याय, कृषि उत्पादन और रक्षा पर केंद्रित थी। The Electricity Supply Act The twenty-point program The minimum Needs Programme (MNP) and the Indian National Highway System कुल मिलाकर यह योजना सफल रही और 4.4% के लक्ष्य के मुकाबले 4.8% की वृद्धि हासिल की। यह योजना सफल रही थी।
5th FYP की समाप्ति के बाद, रोलिंग योजना 1978 से 1980 तक लागू हुई। रोलिंग प्लान स्वीडिश अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री गुन्नार मर्डल द्वारा गढ़ा गया था। 1980 में, कांग्रेस ने रोलिंग प्लान को खारिज कर दिया और एक नई छठी पंचवर्षीय योजना पेश की गई।
रोलिंग योजनाओं का मुख्य लाभ यह है कि वे लचीले होते हैं। रोलिंग प्लान एक ऐसी योजना है जिसमें हर साल योजना के प्रदर्शन का आकलन किया जाता है और इस आकलन के आधार पर अगले साल एक नई योजना बनाई जाती है। इस प्रकार, इस योजना के दौरान आवंटन और लक्ष्य दोनों को संशोधित किया जाता है। परन्तु Rolling Plan की प्रदर्शन आकलन विशेषता के कारण अब इसे FYP में बनाये रखा गया है।
इस योजना का मूल उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करके आर्थिक उदारीकरण था। यह निवेश योजना, ढांचागत परिवर्तन और विकास मॉडल के रुझानों पर आधारित था। इसका विकास लक्ष्य 5.2% था लेकिन इसने 5.7% की वृद्धि हासिल की।
भारत की लौह महिला, इंदिरा गांधी की मृत्यु 31 अक्टूबर 1984 को हुई थी। उनके दो अंगरक्षकों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इस योजना का नेतृत्व राजीव गाँधी द्वारा किया गया था। इस योजना के उद्देश्यों में एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की स्थापना, उत्पादक रोजगार के अवसर और प्रौद्योगिकी का उन्नयन शामिल है। पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र पर प्राथमिकता मिली है। इसका विकास लक्ष्य 5.0% था लेकिन इसने 6.01% हासिल किया।
केंद्र में अस्थिर राजनीतिक स्थिति के कारण आठवीं पंचवर्षीय योजना नहीं हो सकी। वर्ष 1990-91 और 1991-92 के लिए दो वार्षिक कार्यक्रम बनाए गए। भारत को इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) के संकट का सामना करना पड़ा। Liberalisation, Privatisation, and Globalisation (LPG) को प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव के तहत अर्थव्यवस्था की समस्या से निपटने के लिए पेश किया गया था।
इसकी अवधि 1992 से 1997 तक पी.वी. नरसिम्हा राव। इस योजना में मानव संसाधन अर्थात रोजगार, शिक्षा और जन स्वास्थ्य के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी। इस योजना के दौरान, नरसिम्हा राव सरकार। भारत की नई आर्थिक नीति का शुभारंभ किया। यह योजना सफल रही और 5.6% के लक्ष्य के मुकाबले 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त की
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में इसकी अवधि 1997 से 2002 तक थी। इस योजना का मुख्य फोकस Growth with Social Justice and Equality” था। इस योजना को भारत की स्वतंत्रता के 50वें वर्ष में शुरू किया गया था। यह योजना 6.5% के विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रही और 5.6% की वृद्धि दर हासिल की।
10वी पंचवर्षीय योजना यह 2002 से 2007 तक अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में थी। इस पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना था। इसका उद्देश्य 2012 तक गरीबी अनुपात को 15% तक कम करना था। इसका विकास लक्ष्य 8.0% था लेकिन यह 7.6% ही हासिल कर सका।
11वी पंचवर्षीय योजना भी मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2007 से 2012 तक थी। इसे सी. रंगराजन ने तैयार किया था। इसका मुख्य उद्देश्य "तेजी से और अधिक समावेशी विकास" था। इसने 9% की वृद्धि के लक्ष्य के मुकाबले 8% की वृद्धि दर हासिल की थी अर्ताथ फ़ैल हो गयी।
"Rapid and More Inclusive Growth"
12th पंचवर्षीय योजना के दौरान भी मनमोहन सिंह ही देश के प्रधानमंत्री थे। इसका मुख्य विषय “Faster, More Inclusive and Sustainable Growth" है। इसकी विकास दर का लक्ष्य 8% था। इसी दौरान 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने एवं "पंचवर्षीय योजना" को स्थगित कर दिया।
National Institution for Transforming India
लंबे समय से यह भावना थी कि भारत जैसे विविध और बड़े देश के लिए, एक आकार-फिट-सभी दृष्टिकोण के कारण केंद्रीकृत योजना एक बिंदु से आगे काम नहीं कर सकती है। इसलिए, एनडीए सरकार ने योजना आयोग को भंग कर दिया है जिसे नीति आयोग द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। इस प्रकार, कोई तेरहवीं पंचवर्षीय योजना नहीं थी, हालांकि, पंचवर्षीय रक्षा योजना बनाई गई थी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नीति आयोग के दस्तावेजों की कोई वित्तीय भूमिका नहीं है। वे सरकार के लिए केवल नीति गाइड मैप हैं।